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निशांतकेतु
पटना -विश्‍‍वविद्यालय के अंतर्गत हिंदी - विभागों (1960 से ' 97) में प्राध्यापक, रीडर, युनिवर्सिटी प्रोफेसर तथा अध्यक्ष- इन विभ‌िन्न पदों पर सैंतीस वर्षो के सफल एवं संतुष्‍ट अध्यापन के पश्‍चात् अवकाश- प्राप्‍त आचार्य निशांतकेतु (मूल नाम : चंद्र किशोर पांडेय) स्थायी रूप से अपने ' शब्दाश्रम ', बी - 970, पालम विहार, गुड़गाँव, हरियाणा 122017 (दिल्ली - गुड़गाँव सीमास्थल) में निवास करते हैं। परीक्षाओं में सदैव प्रथम, स्थानीय तथा अनेक स्वर्णपदक प्राप्‍त आचार्य निशांतकेतु बहुपठित और बहुभाषाविद् हैं। आपने साहित्य, भाषाशास्त्र, व्याकरण, पाठालोचन, भूभाषिकी, कोश, दर्शन, योग, अध्यात्म, समाजशास्त्र और तंत्र पर अनेक ग्रंथों की रचना की है। कविता, लघुकथा, कहानी, उपन्यास, संस्मरण, ललित लेख, पुस्तक-समीक्षा, आलोचना, साहित्येतिहास इत्यादि साहित्य -विधाओं में विपुल एवं विशिष्‍ट लेखन के अतिरिक्‍त आपने प्रभूत बाल - साहित्य की रचना की है। आपने अनेक पत्रिकाओं, स्मारिकाओं, ग्रंथों और विश्‍वकोशों का व्यावहारिक संपादन किया है। साहित्य - साधना के अतिरिक्‍त अक्षर - तत्व, तांत्रिक विनियोग - विद्या, लययोग, तन्मात्रा - तत्त्व -शास्त्र, अंत : सूर्यविज्ञान, रुद्राक्ष- धारण और जपयोग एवं प्राणायाम - प्राणुशासित नवायुर्विज्ञान के विशेषज्ञ आचार्य निशांतकेतु ने इन विषयों पर बहुत कुछ मौलिक तथा सार्थक लिखा है। अब तक आपके शताधिक ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं।

संप्रति : सुलभ साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के अध्यक्ष तथा ' चक्रवाक् ' पत्रिका के संपादक।

अंक प्रतीक कोश

निशांतकेतु

मूल्य: Rs. 400

इसमें भारतीय अंक कोश से ज्ञान-परंपरा को अंक और संख्या में परंपरा-व्यवस्थित किया गया है...   आगे...

 

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