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लेख-निबंध >> शब्द और स्मृति

शब्द और स्मृति

निर्मल वर्मा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10407
आईएसबीएन :8126312858

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रोमन खंडहरों या पुराने मुस्लिम मकबरों के बीच घूमते हुए एक अजीब गहरी उदासी घिर आती है

रोमन खंडहरों या पुराने मुस्लिम मकबरों के बीच घूमते हुए एक अजीब गहरी उदासी घिर आती है जैसे कोई हिचकी, कोई सांस, कोई चीख़ इनके बीच फँसी रह गयी हो... जो न अतीत से छुटकारा पा सकती हो, न वर्तमान में जज्ब हो पाती हो... किन्तु यह उदासी उनके लिए नहीं है, जो एक ज़माने में जीवित थे और अब नहीं हैं... वह बहुत कुछ अपने लिए है, जो एक दिन खंडहरों को देखने के लिए नहीं बचेंगे... पुराने स्मारक और खँडहर हमें उस मृत्यु का बोध करते हैं, जो हम अपने भीतर लेकर चलते हैं.

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