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योग के सात आध्यात्मिक नियम

दीपक चोपड़ा

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :186
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7181
आईएसबीएन :81-8322-032-0

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योग अस्तित्व की वह अवस्था है जिसमें आपके जैविक अवयव ब्रह्मांड के तत्वों की समरसता में काम करते हैं...

Yog Ke Sat Adhyatmik Niyam - A Hindi Book - by Deepak Chopra

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

यदि आप भी लाखों लोगों की तरह हैं तो आपने ज़रूर जाना होगा कि योग आपके शरीर की स्फूर्ति, संतुलन, मांसपेशियों के गठन और आपकी सहनशक्ति बढ़ाने का प्रबल माध्यम है। किसी योग शिविर में बैठकर आपने उस शांत उर्जा को भी महसूस किया होगा, जो पूरे दिन आपके साथ चलती है। योगाभ्यास के ये फ़ायदे बेजोड़ हैं, परंतु दरअसल ये फ़ायदे इस गहन आध्यात्मिक अभ्यास की असीम और रूपांतरकारी शक्तियों का सिर्फ़ संकेत देते हैं। इस तरह योग के सात आध्यात्मिक नियम योग में आध्यात्मिकता को वापस लाते हैं।

‘योग’ शब्द संस्कृत की युज् धातु से बना है जिसका अर्थ है जोड़ना। जैसा कि दीपक चोपड़ा और डेविड साइमन इस प्रेरणास्पद पुस्तक में बताते हैं–योग शरीर, मस्तिष्क और आत्मा के संयोग के साथ-साथ हमें ब्रह्मांड की महत्तर लय के संसर्ग में लाता है। भारत में जन्मा और आयुर्वेद का केंद्रीय तत्व योग हमारी उपचार की सबसे प्राचीन पद्धति है। यह मात्र शारीरिक अभ्यास न होकर संतुलित जीवन जीने का ऐसा परिपूर्ण विज्ञान है, जो उच्चतर ज्ञान, परिपू्र्ण आनंद और संपूर्ण शक्ति का स्त्रोत है। जब इसे लगन और निष्ठा से किया जाएगा तब योग के सात आध्यात्मिक नियम में वर्णित योग की शैली और दर्शन आपकी सृजनात्मक प्रतिभा, आपकी प्रेम तथा करुणा की क्षमता और आपके जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की सफलता की कुंजी बन जाएगा।

चोपड़ा और साइमन ने पुस्तक की शुरुआत योग की आठ पांरपरिक शाखाओं से की है। इन आठों में से सिर्फ़ एक शाखा आसन शारीरिक मुद्रा के अनुरूप है, जिसे लोग सामान्यतः योग से जोड़ देते हैं। डॉ. चोपड़ा और डॉ. साइमन बताते हैं कि सफलता के सात आध्यात्मिक नियम के करोड़ों पाठकों के परिचित सात आध्यात्मिक नियम शुद्ध क्षमता, दान, कर्म, निश्चेष्टा, आकांक्षा और इच्छा, अनाशक्ति और धर्म-ज्ञान प्राप्ति तथा योग मार्ग में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। लेखक इसके पश्चात् आपके दैनिक जीवन में योग के सात आध्यात्मिक सिद्धांतों को जोड़ने की विधि, ध्यान की शैली, मंत्र, प्राणायाम और सावधानी पूर्वक चुने हुए योग के आसन बताते हैं।

अनुक्रम


१. योग एकता है
२. आत्मा का अनुसंधान
३. योग का राज मार्ग
४. योग के सात आध्यात्मिक नियम
भाग २ : ध्यान और प्राणायाम
५. ध्यान : अशांत मन को शांत करना
६. शक्ति का प्रवाह : प्राणायाम और बंध
भाग ३ : योग साधना
७. गति में चेतना : योगासन
८. योगाभ्यास के सात आध्यात्मिक नियम


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