नई पुस्तकें >> श्री अक्षरगीता महिमा वैभव श्री अक्षरगीता महिमा वैभववीरेंदर शर्मा
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गीता के प्रथम पाँच अध्याय पंचानन भगवान महेश्वर के पाँच मुख हैं। आगे के दस अध्याय उनकी दस भुजाएँ हैं। सोलहवाँ अध्याय उनका उदर है। सत्तरहवें व अट्ठारहवें अध्याय उनके दोनों चरण है।
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