लोगों की राय

संचयन >> भारतेन्दु रचना संचयन

भारतेन्दु रचना संचयन

गिरीश रस्तोगी

प्रकाशक : साहित्य एकेडमी प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :720
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10975
आईएसबीएन :9788126029372

Like this Hindi book 0

भारतेंदु हरिश्चंद्र (9 सितंबर 1850-7 जनवरी 1885) आधुनिक हिन्दी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। भारतेंदु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। उनका रचनाकाल युग संधि पर खड़ा है। उन्होंने रीतिकाल की विकृत सामंती संस्कृति की पोषक वृत्तियों को छोड़कर स्वस्थ्य परंपरा की भूमि अपनाई और नवीनता के बीज बोए। हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारंभ भारतेंदु हरिश्चंद्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध भारतेंदु ने देश की ग़रीबी, पराधीनता, शासकों के अमानवीय शोषण के चित्रण को ही अपने साहित्य का लक्ष्य बनाया। हिन्दी को राष्ट्र-भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में उन्होंने अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। भारतेंदु बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिन्दी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में उनका बहुमूल्य योगदान रहा। उन्होंने हरिश्वंद्र पत्रिका, कविवचन सुधा और बाल बोधिनी पत्रिकाओं का संपादन भी किया। वे एक उत्कृष्ट कवि, सशक्त व्यंग्यकार, सफल नाटककार, जागरूक पत्रकार तथा ओजस्वी गद्यकार थे। इसके अलावा वे कुशल वक्ता भी थे। पैंतीस वर्ष की आयु में उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा, इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथप्रदर्शक बन गया।

इस संचयन में भारतेंदु हरिश्चंद्र के रचनात्मक संसार से एक प्रतिनिधि चयन प्रस्तुत किया गया है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book