लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> गीता-चिन्तन

गीता-चिन्तन

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :614
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1189
आईएसबीएन :81-293-0102-4

Like this Hindi book 10 पाठकों को प्रिय

175 पाठक हैं

श्रीमद्भगवद्गीता साक्षात् भगवान् श्रीकृष्ण के श्रीमुख की वाणी है। इसमें सारे शास्त्रों का सार भरा हुआ है। इसकी महिमा अनन्त है हमारे शास्त्रों में इसकी महिमा का वर्णन किया गया है। भिन्न-भिन्न रूचि और अधिकार रखने वाले मनुष्यों को उनकी योग्यता के अनुसार ही कर्तव्य कर्म में प्रवृत्त कर भगवान की ओर करा देना ही इसका मुख्य तात्पर्य है।

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined offset: 1

Filename: books/book_info.php

Line Number: 553

...Prev |

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book