लोगों की राय

कहानी संग्रह >> मित्रमिलन तथा अन्य कहानियाँ

मित्रमिलन तथा अन्य कहानियाँ

अमरकान्त

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :155
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13218
आईएसबीएन :9788180313691

Like this Hindi book 0

ये कहानियाँ न केवल इतिहास की विसंगतियों और असफलताओं पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करती हैं, बल्कि यथा-स्थितिवाद का कोहरा हटा कर हमारे दृष्टिकोण को बदलती हैं, और हमें मनुष्य के अधिक निकट ले जाती हैं

'जिन्दगी और जोंक', 'देश के लोग' और 'मौत का नगर' के बाद 'मित्र-मिलन' अमरकांत की नयी कहानियों का संकलन है। ये कहानियाँ न केवल इतिहास की विसंगतियों और असफलताओं पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करती हैं, बल्कि यथा-स्थितिवाद का कोहरा हटा कर हमारे दृष्टिकोण को बदलती हैं, और हमें मनुष्य के अधिक निकट ले जाती हैं। इन कहानियों में बदलाव की व्याकुलता है, प्रगतिशील जीवन दृष्टि के प्रति आस्था हैं। अमरकांत भारतीय निम्न मध्यवर्गीय मनुष्य की भावनाओं को जितना समझते हैं उतना ही उसके अन्तर्विरोधों पर व्यंग्य करते हैं। 'फर्क' हो या 'शक्तिशाली मैत्री' हो या 'मित्र-मिलन', वास्तविकता का इतना आत्मीय अंकन अन्यत्र दुर्लभ है। विश्वनाथ त्रिपाठी का यह कथन सार्थक है कि अमरकांत का रचना संसार महान् रचनाकारों के रचना संसारों जैसा विश्वसनीय है। उस विश्वसनीयता का कारण है स्थितियों का अचूक चित्रण जिससे व्यंग्य और मार्मिकता का जन्म होता है। वास्तव में प्रेमचंद के बाद जीवन की इतनी गहरी पकड़ अमरकांत में ही मिलती है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book