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मानव और संस्कृति

श्यामाचरण दुबे

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :287
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14034
आईएसबीएन :9788126719136

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मानव और संस्कृति में विद्वान लेखक ने सांस्कृतिक नृतत्व के सर्वमान्य तथ्यों को भारतीय पृष्ठभूमि में प्रस्तुत करने का यत्न किया है।

मानवीय अध्ययनों में 'नृतत्व' अथवा 'मानवशास्त्र' का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस विषय का विकास बड़ी तीव्र गति से हुआ है और अब तो यह अनेक स्वयंपूर्ण उपभागों में विभाजित होता जा रहा है। प्रस्तुत पुस्तक नृतत्व कि उस शाखा कि परिचयात्मक रूपरेखा जो मानवीय संस्कृति के विभिन्न पक्षों का अध्ययन करती है। मानव और संस्कृति में विद्वान लेखक ने सांस्कृतिक नृतत्व के सर्वमान्य तथ्यों को भारतीय पृष्ठभूमि में प्रस्तुत करने का यत्न किया है। इस सीमित उददेश्य के कारण, जहाँ तक हो सका है, समकालीन सैद्धांतिक वाद-विवादों के प्रति तटस्थता का दृष्टिकोण अपनाया गया है। हिंदी के माध्यम से आधुनिक वैज्ञानिक विषयों पर लिखने में अनेक कठिनाइयाँ हैं। प्रमाणिक पारिभाषिक शब्दावली का अभाव उनमे सबसे अधिक उल्लेखनीय है। इस पुस्तक में प्रचलित हिंदी शब्दों के साथ अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली का उपयोग स्वतंत्रतापूर्वक किया गया है। मानव और संस्कृति में सात खंडो में विषय के उद्घाटन के बाद मानव का प्रकृति, समाज, अदृश्य जगत, कला और संस्कृति से सम्बन्ध दर्शाया गया है। अंत में भारत के आदिवासियों के समाज-संगठन पर प्रकाश डाला गया है और उसकी समस्याओं पर विचार किया गया है। पुस्तक अद्यतन जानकारी से पूर्ण है और लेखक ने अब तक कि खोजों के आधार पर जो कुछ लिखा है वह साधिकार लिखा है।

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