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अनुवाद प्रक्रिया एवं परिदृश्य

रीतारानी पालीवाल

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :204
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14771
आईएसबीएन :9788181430854

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अनुवाद प्रक्रिया एवं परिदृश्य

अनुवाद प्रक्रिया और परिदृश्य

हिन्दी में अनुवाद सम्बन्धी चिन्तन और चर्चा को प्रकाश में लाने वालों में प्रो. रीतारानी पालीवाल एक अग्रगण्य नाम है। पिछले ढाई दशक से वह हमारे समाज में अनुवाद-कर्म की स्थिति एवं आवश्यकता के महत्त्वपूर्ण एवं विवादास्पद मुद्दों को निरन्तर रेखांकित करती रही हैं।

आधुनिक भारतीय नवजागरण के साथ ही हिन्दी में अनुवादों का जो वैविध्यपरक उत्साह आया था, वह लगभग एक शताब्दी तक कायम रहकर ढीला होने लगा। आज़ादी के बाद भाषाई औपनिवेशिकता के चलते भारतीय जीवन में अनुवाद के महत्त्व एवं आवश्यकता को सही मायने में ग्रहण नहीं किया गया। फलतः हमारे यहाँ अनुवाद का वैसा सार्थक उपयोग नहीं हो सका, जैसा किसी भी स्वाधीन समाज में होता है। हमारी भाषा, साहित्य, तकनीकी एवं जीवन पद्धति एक अनुगामी साँचे में ढलती गयी।

अनुक्रम

एक

  • अनुवाद क्या है ?
  • अनुवाद : प्रक्रिया और प्रभेद
  • अनुवाद विज्ञान है अथवा कला ?
  • अनुवाद और भाषाविज्ञान
  • अनुवाद और अर्थविज्ञान
  • अनुवाद और ध्वनिविज्ञान
  • अनुवाद और वाक्यविज्ञान
  • काव्यानुवाद
  • नाट्यानुवाद
  • वैज्ञानिक तथा तकनीकी विषयों का अनुवाद
  • लोकोक्तियों तथा मुहावरों का अनुवाद
  • अनुवाद की समस्याएं
  • अनुवाद क्यों ?
  • अनुवाद समीक्षा के माध्यम से रचना और
  • अनुवाद के अंतः संबंध की तलाश
  • कम्प्यूटर और अनुवाद

दो

  • यह षड्यंत्र है कि लापरवाही
  • एक सदी के संघर्ष का अपमान
  • मानसिक दासता का नया अध्याय
  • मत भिड़ाइए हिंदी को उसकी बोलियों से
  • प्रयोजनमूलक हिंदी की परंपरा
  • संस्कृति की माला फेरते महंत

तीन

  • अनुवाद से आमना-सामना

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