लोगों की राय

सामाजिक विमर्श >> अंतरंगता का स्वप्न

अंतरंगता का स्वप्न

सुधीर कक्कड़

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 14795
आईएसबीएन :9788181436320

Like this Hindi book 0

अंतरंगता का स्वप्न

सुधीर कक्क्ड़ की इस किताब का अनुवाद किया है अभय कुमार दुबे ने जिसमे उपन्यासों, फिल्मों, लोकगाथाओं, आत्मकथाओं और व्यक्तिगत जीवन की उलझनों के जरिये काम की भारतीय कथा काही गयी अहि। यह पुस्तक औरत-मर्द को प्रेमी-प्रेमिका और पति-पत्नी के रूप में देखती है। भारत ए नर-नारी सम्बन्धों का मनोविज्ञानिक अध्ययन करने वाले ये लेख उन अंतरंग स्तिथियों का जायजा लेते हैं जिंनके तहत व्यक्ति बड़े उल्लास के साथ मन और शरीर के द्वार अपने प्रतिलिंगी साथी के सामने खोल देता है, लेकिन उसी प्रक्रिया में खतरनाक ढंग से उसकी दुर्बलताएँ भी उजागर हो जाती हैं। इस विरोधाभास से एक भारतीय किस्म की सेक्शुअल राजनीति निकलती है।

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book