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समाजवादी >> बलचनमा

बलचनमा

नागार्जुन

प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2002
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 3008
आईएसबीएन :000000

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गरीब जीवन की त्रासदी पर आधारित उपन्यास...

Balachnama

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘बलचनामा’ के पिता का यही कसूर था कि वह जमींदार के बगीचे से एक कच्चा आम तोड़कर खा गया। और इस एक आम के लिए उसे अपनी जान गँवानी पड़ गई।

गरीब जीवन की त्रासदी देखिए कि पिता की दुखद मृत्यु के दर्द से आँसू अभी सूखे भी नहीं थे कि उसी कसाई जमींदार की भैंस चराने के लिए बलचनामा को बाध्य होना पड़ा। पेट की आग के आगे पिता की मृत्यु का दर्द जैसे बिला गया।

उस निर्मम जमींदार ने दया खाकर उसे नौकरी पर नहीं रखा था...बेशक उसे ‘अक्षर’ का ज्ञान नहीं था,लेकिन सुराज इन्किलाब जैसे शब्दों से उसके अन्दर चेतना व्याप्त हो गई थी। और फिर शोषितों को एकजुट करने का प्रयास शुरु होता है-शोषकों से संघर्ष करने के लिए।

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