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मनोरंजक कथाएँ >> माँ का प्यार

माँ का प्यार

रामगोपाल वर्मा

प्रकाशक : सुयोग्य प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1995
पृष्ठ :44
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4094
आईएसबीएन :00000

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प्रस्तुत है बाल कहानी माँ का प्यार और अन्य कहानियाँ ....

Maa Ka Pyar-A Hindi Book r by Ramgopal Verma

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

परियों का देश

नवीन को रूठने की आदत है। वह माँ से रूठ जाता है । माँ को उसका रूठना भी अच्छा लगता है। वह उसे मनाती है। उसे प्यार करती है। वह माँ की बात मान जाता है।
एक दिन माँ ने उसे डाँट दिया। वह रूठ गया। वह मां की ओर देख रहा था। मां उसे मनाने आएगी । माँ नहीं आई। वह काम में लगी रहीं।

नवीन को बुरा लगा। वह छत पर चला गया। छत पर टूटी चारपाई थी। वह उस पर लेट गया।
कोई सफ़ेद चीज़ आसमान से उतर रही है। वह डर गया। उसने अपने दोनों हाथों से आँखें बन्द कर लीं। थोड़ी देर के बाद उसने हाथ हटाए तो उसके सामने परी खड़ी थी। उसने सुन्दर साड़ी पहनी हुई थी। उसने मुकुट लगाया हुआ था। वह मुस्करा रही थी। उसे देखकर नवीन भी मुस्कराने लगा। परी नवीन के पास आई। अब नवीन को डर नहीं लगा। परी ने उसके सिर पर हाथ फेरा। परी ने नवीन को प्यार किया। नवीन ने पूछा तुम क्या परी हो ?’’ परी ने नवीन के पास बैठते हुए कहा, ‘हाँ। नवीन ने फिर पूछा, ‘‘क्या तुम परी देश से आई हो ?’’ परी ने कहा, ‘‘हाँ।’ नवीन से न रुका गया। वह फिर बोल पड़ा ‘‘कैसा है तुम्हारा परी-देश ?’ परी ने कहा बहुत सुन्दर है। नवीन ने परी की साड़ी को छुआ। साडी पर सितारे चमक रहे थे। नवीन ने सितारों को छुआ। परी ने नवीन को अपनी गोद में बिठा लिया। परी बोली, ‘क्या तुम हमारे देश चलोगे ?’ नवीन से कहा, ‘‘अभी ले चलो न।’

परी ने अपने पंख खोले। परी उड़ने लगी। दूर आसमान में, सितारों के पास उसका घर है। परी का देश आ गया। परी ने नवीन को गोद में से उतार दिया। वे दोनों सुन्दर स़ड़क पर चल रहे थे। वहाँ बहुत-सी सुन्दर परियाँ थीं। नवीन को छोटी परियां अच्छी लग रही थीं। वे उसकी गुड़िया जैसी थीं। उस देश में न धुआँ था न ही धूल थी और न ही शोर। चारों ओर हरे-भरे पेड़ों पर अनेक रंगों के फल और फूल लटक रहे थे। छोटे-छोटे, सुन्दर–सुन्दर घर बने हुए थे।

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