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मनोरंजक कथाएँ >> बुद्धि का चमत्कार

बुद्धि का चमत्कार

दिनेश चमोला

प्रकाशक : सावित्री प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2001
पृष्ठ :32
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4502
आईएसबीएन :0000

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इसमें 6 बाल कहानियों का वर्णन किया गया है।

Buddhi Ka Chamatkar-A Hindi Book by Dinesh Chamola

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

साध्वी रामदेई

एक थी रामदेई सुन्दर पहाड़ी बाला । हिमालय-सी सफेद, चाँदी-सी चमचम। उसके पिता रामदत्त मल्लाह थे। वह भगवान के बहुत बड़े भक्त थे। एक दिन वह उत्तर के तीर्थ की ओर नाव खेने गए थे कि भयावह तूफान की चपेट में आ सदा-सदा के लिए उनका साथ छोड़ गए। रामदत्त जीवन की सच्चाई जानते थे, इसलिए उसने एक वर्ष पहले अपनी पत्नी रामबीरा से कहा था-

‘‘देखो रामबीरा..... मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सच है, एक दिन संसार में सभी को उसका ग्रास बनना है....और यदि कभी मैं तुम्हारे बीच न रहूँ तो तुम यहाँ का आवास छोड़ उत्तर में देवतीर्थ पहाड़ी के समतल में अपना घर बसा देना...चारों ओर अमलतास, कचनार, चमेली, जै, फ्यूँली व बुराँस के फूलों के पेड़ लगवाना... क्योंकि नन्ही रामदेई पहाड़ी बाला है....उसे प्रकृति, फूलों व पशु-पक्षियों से बहुत प्रेम है.....शेष जीवन की बागडोर तो भगवान के हाथ है.....।’’

बस, रामबीरा ने रामदत्त की मृत्यु के तुरन्त बाद ही अपना आवास देवतीर्थ पहाड़ी के समतल में बसा लिया था। रामबीरा ने पति की याद में चारों तरफ रंग-बिरंगे फूलों के पेड़ लगाए। जब तब अपने ईमानदार व देवभक्त पति की याद आती तो रामबीरा भावों के संसार में डूबकर आँसुओं के तालाब में नहा लेती। लेकिन छोटी रामदेई इतनी मस्त हँसती-खेलती रहती गोया कि कुछ हुआ ही न हो।

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