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योग और योगासन

स्वामी अक्षय आत्मानन्द

प्रकाशक : प्रतिभा प्रतिष्ठान प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :198
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 5733
आईएसबीएन :81-85827-87-7

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‘योगश्चित्तः वृत्ति निरोधः’। इस सूत्र का अर्थ है-योग वह है जो देह और चित्त की खीच-तान के बीच मानव को अनेक जन्मों तक भी आत्मा दर्शन से वंछित रहने से बचाता है। चित्तवृतियों का निरोध दमन से नहीं, उसे जानकर उत्पन्न ही न होने देना है।’

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