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नकली गढ़

रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रकाशक : इण्डियन बुक बैंक प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :24
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6243
आईएसबीएन :81-8115-012-0

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राजस्थान की एक वीर गाथा है। कहते हैं कि एक बार चित्तौण के महाराज ने वैर-वश यह प्रण ठान लिया कि ‘जब तक बूंदीगढ़ को तबाह और बर्बा नहीं करता, तब-तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करूंगा।’

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