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नारी विमर्श >> वे दिन ये दिन

वे दिन ये दिन

भारती राय

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2010
पृष्ठ :337
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7697
आईएसबीएन :9780143068839

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एक बुद्धिजीवी स्त्री की आत्मकथा जो मध्यवित्त संयुक्त परिवार की मिठास और तल्ख़ियों को क़बूल करते हुए अपने लिए सार्थक राह गढ़ती है।

Ve Din Ye Din - A Hindi Book - by Bharati Rai

उन्नीसवीं सदी से इक्कीसवीं सदी तक की दूरी तय करतीं इन पांच पीढ़ियों में आम घरों की स्त्रियों की ज़िंदगी भी प्रकारान्तर से मौजूद है। कथा का ऐसा विस्तृत फलक असाधारण स्त्रियों की असाधारण कहानी नहीं बुनता; बल्कि वह बड़ी सुथराई से पाठकों के आगे बंगाल के मध्यवित्त परिवारों की सामान्य, प्रायः घर-गृहस्थी चलाने और बच्चे पालने तक ही सीमित–केंद्रित रहीं पांच महिलाओं–लेखिका की परनानी, नानी, मां, स्वयं अपनी और अपनी बेटियों–की ज़िंदगियों के ताने-बाने को एक पूरी चादर की तरह फैला देता है।

‘वे दिन ये दिन’ एक बुद्धिजीवी स्त्री की आत्मकथा है, जो मध्यवित्त संयुक्त परिवार की मिठास और तल्ख़ियों को क़बूल करते हुए अपने लिए सार्थक राह गढ़ती है। यह आत्मकथा पिछली पीढ़ियों और वर्तमान पीढ़ी को निष्पक्ष ढंग से तोलने की कोशिश है और आधुनिक समय में बढ़ते हुए क़दमों का अभिनंदन है। पाठकों को यह किताब दिशा और दृष्टि देगी।

Ve Din Ye Din, Bharati Ray
अनुवाद: सुशील गुप्ता
आवरण चित्र: के.बी. अबरो
आवरण डिज़ाइन: पूजा आहूजा

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