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मृदुला गर्ग की यादगारी कहानियां

मृदुला गर्ग

प्रकाशक : हिन्द पॉकेट बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2019
पृष्ठ :208
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7775
आईएसबीएन :9789353491062

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प्रस्तुत संकलन में संकलित कहानियां भारतीय मन के खुलासे की कहानियां हैं, जो कहीं अपनी जड़ों से जुड़ने की ललक रखती हैं, तो कहीं मुखौटों के उतरने की विवशता...

Mridula Garg ki Yadgari Kahaniyan - A Hindi Book - by Mridula Garg

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

स्त्रीवादी विमर्श में अग्रणी स्थान रखने वाली मृदुला गर्ग ने नई कहानी के दौर के बाद हिन्दी कथा साहित्य में भी विशिष्ट पहचान बनाई है। इनकी कहानियों में व्यक्ति से समाज और समाज के बीच की आवाजाही निरंतर नज़र आती है। प्रस्तुत संकलन में संकलित कहानियां भारतीय मन के खुलासे की कहानियां हैं, जो कहीं अपनी जड़ों से जुड़ने की ललक रखती हैं, तो कहीं मुखौटों के उतरने की विवशता। श्रीमती गर्ग समाज सेवा में काफी सक्रिय भूमिका निभाती हैं, इसलिए इनकी कहानियां समाज का वास्तविक दर्पण बन पड़ी हैं, यही इनकी सबसे बड़ी विशेषता है। इन्हें अनेक साहित्य और सामाजिक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।

1938 में जन्मी मृदुला गर्ग आधुनिक हिन्दी साहित्य के लेखकों में अत्यंत प्रमुखता से जानी जाती हैं। इनके अब तक छः उपन्यास, नौ लघुकथा संग्रह, दो नाटक और दो निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। साहित्य में इन्होंने अपना विशिष्ट स्थान बनाया है।

 

संग्रह की कहानियाँ

 

  • हरी बिंदी
  • कितनी क़ैदें
  • पोंगल पोली
  • डैफ़ोडिल जल रहे हैं
  • तुक
  • वितृष्णा
  • तीन किलो की छोरी
  • मीरा नाची
  • बड़ा सेब काला सेब
  • मेरे देश की मिट्टी, अहा
  • कानतोड़ उर्फ कर्णवीर
  • सात कोठरी
  • ज़ीरो अक़्स
  • साठ साल की औरत
  • ग्लेशियर से
  • उर्फ़ सैम

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