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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> संपूर्ण सफलता का लक्ष्य

संपूर्ण सफलता का लक्ष्य

सरश्री

प्रकाशक : मंजुल पब्लिशिंग हाउस प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 9569
आईएसबीएन :9788183221368

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

लोकमत, स्वमत या ईशमत अनुसार तीन तरह की सफलताएँ होती हैं। आप कौन सी सफलता पाना चाहते हैं ? जब दिव्य योजना के अनुसार आपने जो निश्चित किया, वह किया और वही हुआ... तब आप वह कार्य आप कर गुज़रते है, जिसे करने के लिए आप पृथ्वी पर आए हैं। और तभी होती है ख़त्म, ‘सम्पूर्ण सफलता’ की तलाश।

उत्साह से भरकर, ख़ुशी से खुलकर, स्वीकार के साहस से सराबोर जीवन जीना सीखें। आज से ही अपने जीवन में ज़िंदादिली के विचार प्रकट करें तभी ‘संपूर्ण सफलता का लक्ष्य’ आपकी झोली में होगा।

सफलता का नियम कहता है, ‘वह देखें जो सब देख रहे हैं लेकिन उसके बारे में वह सोचें जो कोई भी नहीं सोच रहा हो। यदि आपको इस तरह सोचना नहीं आता है तो ऐसे लोगों के साथ रहें, जो रचनात्मक सोचते हैं।’

इस नियम का पालन करने के लिए मूल सफलता के सत्रह रहस्य, मौलिक सफलता के पाँच रहस्य तथा महा सफलता के आठ क़दम, जो मिलकर तीस संदेश बनते हैं, जानकर जीत हासिल करें। इन तीस संदेशों पर अमल की आदत आपको सफलता के नये शिखर पर पहुँचा देगी, जहाँ पर होती है ‘संपूर्ण सफलता’।

जब इंसान का कर्म, उसके धर्म यानी स्वभाव से लिखा जाता है तब महा सफलता की कहानी लिखी जाती है। अपनी सफलता की कहानी को कम ऊर्जा लगाकर लिखना सीखें। बची हुई ऊर्जा संपूर्ण सफलता की खुशी लोगों में बाँटने तथा उन्हें संपूर्ण सफल बनाने में लगायें। यही है ‘संपूर्ण सफलता का लक्ष्य’।

मूल सफलता + मौलिक सफलता + महा सफलता = संपूर्ण सफलता

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