कविता संग्रह
|
क्या खोया क्या पायाअटल बिहारी वाजपेयी
मूल्य: $ 11.95 |
|
सूफी संत रूमीविश्वनाथ
मूल्य: $ 10.95 |
|
एक अनाम कवि की कविताएँदूधनाथ सिंह
मूल्य: $ 18.95 |
|
प्रतिनिधि कविताएँ : मंगलेश डबरालमंगलेश डबराल
मूल्य: $ 5.95 |
|
मिरर्ड स्पेस्ड (अंग्रेजी)सोल्गम
मूल्य: $ 12.95 आज के मैनेजरों और टेक्नोलोजिस्ट के एक समूह सोलगैस्म पर आधारित पुस्तक आगे... |
|
मिराकी (अंग्रेजी)हना वैद
मूल्य: $ 10.95 लेखकीय आत्मा की आवाज आगे... |
|
शब्दों का प्यालाअखिल जैन
मूल्य: $ 12.95 कविताओं के माध्यम से जीवन के विविध रंग आगे... |
|
दीदार-ए-दिलकिरण बाबल
मूल्य: $ 10.95 जीवन के विभिन्न आयामों पर आधारित पुस्तक आगे... |
|
मैं तुला हूँकुणाल नारायण
मूल्य: $ 10.95 अहं तुष्टि पर आधारित कहानी आगे... |
|
एहसास जिंदगी कावसुंधरा अग्रवाल
मूल्य: $ 10.95 जीवन को खुशनुमा बयार से सवांरती रचना आगे... |
|
मेघ जैसा मनुष्यशंकर घोष
मूल्य: $ 12.95 |
|
यानोश आरन्य कथागीत एवं कविताएँमारगित कोवैश
मूल्य: $ 14.95 |
|
आवाज़ में झर करप्रकाश
मूल्य: $ 12.95 |
|
मौन का महाशंखभावना शेखर
मूल्य: $ 12.95 भावना शेखर की कविताओं में ‘काश’ की कशिश है तो यक्ष हुए जाते मन की विदग्ध चेतना भी आगे... |
|
अमरुशतकम्कमलेशदत्त त्रिपाठी
मूल्य: $ 24.95
इस प्रसिद्ध ग्रंथ में ऐन्द्रियता और श्रृंगार की, प्रेम और रति की अपार सूक्ष्मताएँ और छबियाँ ऐसे अद्भुत काव्य-कौशल से उकेरी गयी हैं कि उनका मूल संस्कृत के अलावा हिन्दी अनुवाद में भी आस्वाद सम्भव है। आगे... |
|
माँ माटी मानुषममता बनर्जी
मूल्य: $ 18.95 सार्वजनिक जीवन में आपादमस्तक डूबे किसी मन के लिए बार-बार प्रकृति में सुकून के क्षण तलाश करना स्वाभाविक है। लेकिन ममता जी प्रकृति की छाँव में विश्राम नहीं करतीं, वे उससे संवाद करती हैं। आगे... |
|
न्यूनतम मैंगीत चतुर्वेदी
मूल्य: $ 14.95 |
|
आखिरी संसारविपिन कुमार अग्रवाल
मूल्य: $ 1 पढ़ने में साधारण लगने वाले इस काव्य-रचना में अभिव्यंजना के साथ-साथ रहस्यात्मकता की परत दर परत जमी हुई है। आगे... |
|
आखिर समुद्र से तात्पर्यश्रीनरेश मेहता
मूल्य: $ 1
भिन्नता के बावजूद इन कविताओं का उत्स भी उसी काव्यात्मक ऊर्ध्व चेतनाका बोध करवाता है आगे... |
|
अहल्यामथुरादत्त पाण्डेय
मूल्य: $ 10.95 पेट भरने के प्रबन्ध के बाद जो समस्या सामने आती है, वह है–सम्भोग की। यह समस्या उदित होती है किशोरावस्था में, और यौवन से प्रौढ़ावस्था के ढल जाने तक चलती है आगे... |