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कविता संग्रह >> आखिर समुद्र से तात्पर्य

आखिर समुद्र से तात्पर्य

श्रीनरेश मेहता

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 1988
पृष्ठ :104
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 13023
आईएसबीएन :0

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भिन्नता के बावजूद इन कविताओं का उत्स भी उसी काव्यात्मक ऊर्ध्व चेतनाका बोध करवाता है

पिछले काव्य-संग्रहों से सर्वथा भिन्न-आस्वाद की ये कविताएँ चौकाने की दृष्टि से नहीं हैं बल्कि एक प्रकार से यह उस रचनात्मक बिकास की सूचना देती है जो शायद कवि को भविष्य में अभीष्ट हो। भिन्नता के बावजूद इन कविताओं का उत्स भी उसी काव्यात्मक ऊर्ध्व चेतनाका बोध करवाता है जिसके लिए नरेश जी जाने जाते हैं। प्रकृति ओर लोक में सामरस्यता की ओर बढ़ती यह काव्य दृष्टि स्वयं हिन्दी कविता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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