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आरसु
जन्म : 1950, कालिकट (केरल)।
शिक्षा : हिंदी में उच्च शिक्षा कालिकट विश्वविद्यालय, केरल से। ‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यास पर विदेशी संस्कृति और चिंतन का प्रभाव’ विषय पर शोध। पत्रकारिता और अनुवाद में डिप्लोमा, 1977 से 2011 तक हिंदी अध्यापन, कालिकट विश्वविद्यालय में आचार्य और अध्यक्ष।

रचना-संसार : ‘साहित्यानुवाद : संवाद और संवेदना’, ‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यास’, ‘मलयालम साहित्य : परख और पहचान’, ‘भारतीय भाषाओं के पुरस्कृत साहित्यकार’, ‘अनुवाद : अनुभव और अवदान’, ‘मलयालम के महान् कथाकार’, ‘हिंदी साहित्य : सरोकार और साक्षात्कार’, ‘केरल : कला, साहित्य और संस्कृति’, ‘भारतीय साहित्य : ऊर्जा और उन्मेष’, ‘एक अनुवादक का अलबम’, ‘हिंदी का मैदान विशाल है’ सहित हिंदी और मलयालम में 50 कृतियाँ प्रकाशित। दस हिंदी पत्रिकाओं के मलयालम विशेषांकों के अतिथि संपादक।

सम्मान-पुरस्कार : भारत सरकार, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि प्रदेशों की अनेक प्रतिष्ठित संस्थाओं के राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित। जापान के चार विश्वविद्यालयों में भारतीय साहित्य पर व्याख्यान (2002), विश्वभारती हिंदी पुरस्कार।

संप्रति : हिंदी विभाग, केंद्रीय विश्व-विद्यालय केरल में सेवारत।
संपर्क : साकेत, पोस्ट-चेलेम्ब्रा, जिला- मलपुरम, केरल-673634. दूरभाष : 0494-2402021, 09847762021
इ-मेल : arsusaketh@yahoo.com

नादान प्रेमम्

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यह गाँव-देहात की मुहब्बत की एक दास्तान है.... एस.के. पोट्टेक्काट्ट की प्रथम रचना।   आगे...

महात्मा गाँधी साहित्यकारों की दृष्टि में

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