लोगों की राय

लेखक:

भावना सक्सेना

भावना सक्सेना

सहलेखिका भावना सक्सैना सन्‌ 2008 से 2012 तक सूरीनाम स्थित भारतीय दूतावास में ‘अताशे' के पद पर रहकर हिंदी के विदेश में प्रचार-प्रसार में अग्रणी रही हैं। सूरीनाम में रहते हुए सूरीनाम में प्रचलित हिंदी रूप ‘सरनामी’ का उन्होंने गहन अध्ययन किया है और उस देश में हिंदुस्तानी भाषा, साहित्य और संस्कृति पर केंद्रित एक पुस्तक का प्रणयण किया, जो दिल्‍ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। लेखिका का कवयित्री, कथाकार और अनुवादक रूप भी है और इन विधाओं पर भी उनकी पुस्तकें प्रकाशित हैं। आपको हिंदी भाषा और साहित्य के उन्नयन हेतु अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त है।

यह पुस्तक/पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं

 

   0 पुस्तकें हैं|