लेखक:
गोपाल राय
जन्म : 13 जुलाई, 1932 को बिहार के बक्सर जिले के एक गाँव, चुन्नी में, (मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र के अनुसार)। शिक्षा : आरम्भिक शिक्षा गाँव और निकटस्थ कस्बे के स्कूल में। माध्यमिक शिक्षा बक्सर हाई स्कूल, बक्सर और कॉलेज की शिक्षा पटना कॉलेज, पटना में। स्नातकोत्तर शिक्षा हिन्दी-विभाग पटना विश्वविद्यालय, पटना में। पटना विश्वविद्यालय से ही 1964 में ‘हिन्दी कथा साहित्य और उसके विकास पर पाठकों की रुचि का प्रभाव’ विषय पर डी.लिट. की उपाधि। 21 फरवरी, 1957 को पटना विश्वविद्यालय, पटना में हिन्दी प्राध्यापक के रूप में नियुक्ति और वहीं से 4 दिसम्बर, 1992 को प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्ति। प्रकाशित पुस्तकें : हिन्दी कथा साहित्य और उसके विकास पर पाठकों की रुचि का प्रभाव (1966), हिन्दी उपन्यास कोश : खंड-1 (1968), हिन्दी उपन्यास कोश : खंड-2 (1969), उपन्यास का शिल्प (1973), अज्ञेय और उनके उपन्यास (1975), हिन्दी भाषा का विकास (1995)। हिन्दी कहानी का इतिहास-1 (2008), हिन्दी कहानी का इतिहास-2 (2011), हिन्दी कहानी का इतिहास-3 (2014)। ‘उपन्यास की पहचान’ श्रृंखला के अन्तर्गत, शेखर : एक जीवनी (1975), गोदान : नया परिप्रेक्ष्य (1982), रंगभूमि : पुनर्मूल्यांकन (1983), मैला आँचल (2000), दिव्या (2001), महाभोज (2002), हिन्दी उपन्यास का इतिहास (2002), उपन्यास की संरचना (2005), अज्ञेय और उनका कथा-साहित्य (2010)। सम्पादन : पं. गौरीदत्त कृत देवरानी-जेठानी की कहानी (1966), हिन्दी साहित्याब्द कोश : 1967-1980 (1968-81), राष्ट्रकवि दिनकर (1975)। जुलाई, 1967 से समीक्षा पत्रिका का कई वर्षों तक सम्पादन-प्रकाशन। निधन : 25 सितम्बर, 2015 |
|
उपन्यास की संरचनागोपाल राय
मूल्य: $ 24.95
हिंदी में उपन्यास की संरचना के विवेचन का यह पहला गंभीर प्रयास है। आगे... |
|
हिंदी उपन्यास का इतिहासगोपाल राय
मूल्य: $ 29.95
कोशिश यह की गई है कि यह पुस्तक हिन्दी उपन्यास का मात्र ‘इतिहास’ न बनकर ‘विकासात्मक इतिहास’ बने। आगे... |
|
हिंदी कहानी का इतिहास : खंड-2 (1951-1975)गोपाल राय
मूल्य: $ 26.95
यह किताब हिन्दी कहानी का इतिहास का दूसरा खंड है। पहले खंड में 1900-1950 अवधि की हिन्दी कहानी का इतिहास प्रस्तुत किया गया था। आगे... |
|
हिंदी कहानी का इतिहास : खंड-3 (1976-2000)गोपाल राय
मूल्य: $ 24.95
हिन्दी कहानी के विकासेतिहास में रुचि रखने वाले पाठकों, शोधार्थियों व लेखकों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण कृति। आगे... |