लेखक:
जसवंत सिंह कंवल
जसवंत सिंह कँवल (जन्म 1919, धुदिके गाँव, फरीदकोट, पंजाब) पंजाबी के चर्चित एवं जनप्रिय उपन्यासकार। जूनियर हाई स्कूल तक की पढ़ाई के बाद कोई औपचारिक शिक्षा नहीं। व्यवसाय के रूप में कृषि-कर्म अपनाया, साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका भी निभाई। आपने लेखन कार्य 1940 से प्रारंभ किया। अब तक आपके 27 उपन्यास और 3 कहानी-संग्रह प्रकाशित। कुछ चर्चित उपन्यास हैं – पूर्णणासी (1949), रात बाकी है (1954), हाणी (1961), मित्र प्यारे नूँ (1967), बर्फ दी आग (1977), लहू दी लौ (1978)। आपके उपन्यासों में पंजाब के ग्रामीण जीवन और संस्कृति का यथार्थपरक चित्रण होता है। आपकी अनेक रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ हैं। अनेक साहित्यिक सेवाओं के लिए भाषा विभाग, पंजाब और पंजाबी साहित्य अकादमी के पुरस्कारों से आपको अलंकृत किया गया है। तौशाली दी हंसो के लिए आपको पंजाबी भाषा के लिए 1997 के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। |
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तौशाली की हंसोजसवंत सिंह कंवल
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रूह दा हानजसवंत सिंह कंवल
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