लेखक:
नरसिंह दयाल
देश के आनुवंशिकीविदों में सुपरिचित नाम जन्म : 1943 शिक्षा : एम.एस-सी. (पटना, स्वर्णपदक प्राप्त), पी-एच.डी. (सेंट पीटर्सबर्ग, रूस)। पटना और राँची विश्वविद्यालय में आनुवंशिकी में शिक्षण और शोध का चालीस वर्षों का अनुभव; पूर्व अध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग एवं विज्ञान संकायाध्यक्ष; राँची विश्वविद्यालय, राँची। लगभग सौ से अधिक शोध-पत्रा और समीक्षाएँ राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की अंग्रेजी व रूसी शोध- पत्रिकाओं में प्रकाशित। एक दर्जन से अधिक शोध-प्रबन्ध निर्देशित। कई राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं और शोध-पत्रिकाओं के संचालक और सम्पादक भी रहे। 1971-72 में कई यूरोपीय देशों का शैक्षणिक भ्रमण। 1986 से रूस के उच्च शिक्षा मंत्रालय और विज्ञान अकादमी द्वारा कई बार आमंत्रित। अमेरिका, कनाडा और कुछ यूरोपीय देशों के वैज्ञानिक सम्मेलनों में भागीदारी। साहित्य एवं सामाजिक विषयों में भी अभिरुचि। सम्पर्क : नवकुंज, एच-1/70, आवासीय कॉलोनी, हरमू, राँची-834012 (झारखंड) |
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अथ श्री जीन कथानरसिंह दयाल
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हालाँकि ये बीस कहानियाँ नहीं, कहानियों जैसी ज़रूर हैं, जिन्हें लेखक ने अत्यन्त सरल और प्रवाहमयी भाषा में लिखा है आगे... |