Dr. Sinha has authored several books, including *Life and Times of Birsa Bhagwan*, *The Problem of Land Alienation of the Tribals in and Around Ranchi*, *Santhal Hul*, *Papers Relating to Santhal Insurrection*, *Peasant Movement in Chotanagpur*, *Munda Land System*, *The Conflict and Tension in Tribal Society*, and *Tribal Gujarat: Some Impressions*. He also edited works such as *Impact of Industrialization*, *Tribals and Forest*, *Administering the Prehistorics*, and *Educating the Preliterate*. In addition, numerous research papers and reports related to tribal movements and issues have been published by him. He also edited the journal *Vihangam* of the Bihar Rural Development Institute and the bulletin of the Bihar Tribal Welfare Research Institute.

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लेखक:

डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद सिन्हा

डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद सिन्हा का जन्म 1933 में हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय, पटना से उच्च शिक्षा हासिल की और ‘छोटानागपुर और सन्ताल परगना के जनजातीय समाज में संघर्ष और तनाव (1858-1890) : सामाजिक परिप्रेक्ष्य में एक स्थिति’ विषय पर राँची विश्वविद्यालय, राँची से 1978 में डी.लिट. की डिग्री ली। अपने पेशेवर जीवन के आरंभिक दौर में उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में अध्यापन किया; फिर सेंटर ऑफ़ एडवांस स्टडीज़, राँची के मानवविज्ञान विभाग में विज़िटिंग प्रोफ़ेसर रहे। बाद में उन्होंने शोधकर्ता से लेकर उप-निदेशक तक के रूप में बिहार जनजातीय कल्याण अनुसन्धान संस्थान, राँची में अपनी सेवाएँ दीं। वहाँ  लगभग तीन दशक तक रहे। वे बिहार के प्रशिक्षण और अनुसंधान सम्बन्धी शीर्ष संस्थान, बिहार ग्रामीण विकास संस्थान, हेहल (राँची) में व्यवहार विज्ञान के प्रोफ़ेसर-सह-संयुक्त निदेशक भी रहे। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें प्रमुख हैं—‘लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ बिरसा भगवान’, ‘द प्रॉब्लम ऑफ़ लैंड ऐलिअनेशन ऑफ़ द ट्राइबल्स इन एंड अराउंड राँची’, ‘सन्ताल हूल’, ‘पेपर्स  रिलेटिंग टू सन्ताल इन्सरेक्शन’, ‘पेजेंट मूवमेंट इन छोटानागपुर’, ‘मुंडा लैंड सिस्टम’, ‘द कनफ़्लिक्ट एंड टेंशन इन ट्राइबल सोसाइटी’ और ‘ट्राइबल गुजरात : सम इम्प्रेशन’। ‘इम्पैक्ट ऑफ़ इंडस्ट्रियलाइजेशन’, ‘ट्राइबल्स एंड फ़ॉरेस्ट’, ‘एडमिनिस्ट्रेटिंग द प्री हिस्टोरिक्स’ और ‘एडुकेटिंग द प्रिलिटरेट’ उनकी सम्पादित कृतियाँ हैं। इनके अलावा आदिवासियों और उनके आन्दोलनों से सम्बन्धित उनके कई शोधपत्र और रिपोर्ट प्रकाशित हुए। उन्होंने बिहार ग्रामीण विकास संस्थान के जर्नल ‘विहंगम’ और बिहार जनजातीय कल्याण अनुसन्धान संस्थान की बुलेटिन का सम्पादन भी किया।

सन्ताल हूल

डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद सिन्हा

मूल्य: $ 14.95

"भारत के आदिवासी स्वाधीनता संग्राम की अनसुनी गाथा, संताल हूल के महानायक सिदो, कानू, चाँद और भैरव की अमर विरासत।"

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