Born in 1940 in Raipur Bhainsahi-Bhedihari village of Kushinagar, Acharya Vishwanath Prasad Tiwari has also been a popular teacher. Prof. Tiwari retired in 2001 as the head of the Hindi department at Gorakhpur University.

Acharya Vishwanath Prasad Tiwari is a relentless and natural devotee of literature. He has journeyed from the dusty paths of his village to countries like England, Mauritius, Russia, Nepal, America, the Netherlands, Germany, France, Luxembourg, Belgium, China, and Thailand. He has received several honors from the Uttar Pradesh Hindi Sansthan and was awarded the prestigious Pushkin Award for literature in Moscow, Russia. The Government of Uttar Pradesh honored him with the "Shikshak Shri" award.

Works

His body of work transcends the boundaries of country and language. Two collections of his poems have been published in Odia. His critical book on Hazari Prasad Dwivedi has been translated into Gujarati and Marathi. Additionally, his works have been translated into Russian, Nepali, English, Malayalam, Punjabi, Marathi, Bengali, Gujarati, Telugu, Kannada, and Urdu.

Since 1978, he has been continuously publishing the Hindi literary magazine "Dastavej" and serves as its editor. He has published 11 books on research and criticism, 7 poetry collections, two travel memoirs, one memoir of writers, and one interview book. He has edited 16 books focused on Hindi poets and critics.

Approximately two dozen special issues edited by him have been published, which hold historical significance. Dr. Tiwari's series of published books include nine books of criticism, six poetry collections, two travel memoirs, one writer's memoir, one interview collection, and the editing of 147 different books. Many of his works have been translated into foreign and Indian languages. He has received the Sahitya Bhushan Samman from the Uttar Pradesh Hindi Sansthan, the Pushkin Award from the Bharat Mitra Organization in Moscow, and the Saraswati Samman for the magazine "Dastavej." He was also honored with the Pt. Brijlal Dwivedi Smriti Akhil Bharatiya Sahityik Patrakarita Samman in 2007.

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लोगों की राय

लेखक:

विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

डा. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (जन्म 1940) प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार हैं और इस समय वे साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष हैं। वे गोरखपुर से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका दस्तावेज के संपादक हैं। यह पत्रिका रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका है, जो 1978 से नियमित प्रकाशित हो रही है। सन् 2011 में उन्हें व्यास सम्मान प्रदान किया गया।

1940 में कुशीनगर के रायपुर भैंसही-भेडिहारी गांव में जन्मे आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी एक लोकप्रिय शिक्षक भी रहे। प्रो. तिवारी गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हुए।

आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी साहित्य के अनवरत सहज साधक हैं। उन्होंने गांव की धूल भरी पगडण्डी से इंग्लैण्ड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैण्ड, जर्मनी, फ्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन और थाईलैण्ड की जमीन नापी है। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कई सम्मान हासिल किये। रूस की राजधानी मास्को में साहित्य के प्रतिष्ठित पुश्किन सम्मान से नवाजे गये। उन्हें उत्तर प्रदेश की सरकार ने शिक्षक श्री का सम्मान दिया।

रचनाएँ

उनका रचनाकर्म देश और भाषा की सीमा तोड़ता है। उड़िया में कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए। हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखी आलोचना पुस्तक का गुजराती और मराठी भाषा में अनुवाद हुआ। इसके अलावा रूसी, नेपाली, अंग्रेजी, मलयालम, पंजाबी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलुगु, कन्नड़ व उर्दू में भी इनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ।

1978 से हिन्दी की साहित्यिक पत्रिका ‘दस्तावेज’ का लगातार प्रकाशन कर रहे हैं। वहीं इसके सम्पादक भी हैं। उनके शोध व आलोचना के 11 ग्रंथ, 7 कविता संग्रह, दो यात्रा संस्मरण, एक लेखकों का संस्मरण व एक साक्षात्कार पुस्तक प्रकाशित हो चुका है। उन्होंने हिन्दी के कवियों, आलोचकों पर केन्द्रित 16 पुस्तकों का सम्पादन किया है।

इसके लगभग दो दर्जन विशेषांक प्रकाशित हुए हैं, जो ऐतिहासिक महत्व के हैं। डा. तिवारी की प्रकाशित पुस्तकों की श्रृंखला में आलोचना की नौ पुस्तकें, 6 कविता संकलन, दो यात्रा संस्मरण, एक लेखक संस्मरण, एक साक्षात्कार संकलन तथा 147 विभिन्न पुस्तकों का संपादन शामिल है। साथ ही उनकी कई रचनाओं का विदेशी और भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उन्हें उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण सम्मान, भारत मित्र संगठन मास्को द्वारा पुश्किन सम्मान भी मिल चुका है। उनके द्वारा संपादित पत्रिका ‘दस्तावेज’ को सरस्वती सम्मान भी मिल चुका है। उन्हें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान 2007 से भी सम्मानित किया जा रहा है।

प्रतिनिधि कविताएं: विश्वनाथ प्रसाद तिवारी

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विश्वनाथ प्रसाद तिवारी अपनी पीढ़ी के जिन्हें उन कवियों में शुमार हैं जिनके मितकथन और मितभाषा के प्रयोग सघन और ताकतवर हैं, जो आज उनकी काव्योपलब्धि के रूप में रेखांकित किए जा सकते हैं।   आगे...

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"महादेवी वर्मा : छायावाद की आत्मवादी सौंदर्य चेतना और वेदना की अमर कवयित्री"

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