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लेखक:

यादवेन्द्र

जन्म 1957, आरा (बिहार) बनारस में पैतृक घर पर बचपन और युवावस्था बिहार में बीती। भागलपुर में स्कूली और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के साथ साथ साहित्यिक दीक्षा भी मिली—जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले 1974 के छात्र आंदोलन में सक्रिय भागीदारी और ललाट पर पुलिस के डंडे की चोट का स्थायी निशान। कुछ समय कोरबा, छत्तीसगढ़ में काम करने के बाद 1980 से लेकर मध्य जून 2017 तक लगातार रूडक़ी के केन्द्रीय भवन अनुसन्धान संस्थान में वैज्ञानिक से निदेशक तक का सफर पूरा किया। हिमालयी भूस्खलन, संरचनाओं पर भूकम्प के प्रभाव और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण पर विशेषज्ञता। रविवार, दिनमान, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, दैनिक हिन्दुस्तान, अमर उजाला, प्रभात खबर, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, साँचा, समकालीन जनमत इत्यादि में विज्ञान सहित विभिन्न विषयों पर प्रचुर लेखन। विदेशी समाजों की कविता कहानियों के अंग्रेजी से किये अनुवाद नया ज्ञानोदय, हंस, कथादेश, वागर्थ, शुक्रवार, अहा ज़िंदगी जैसी पत्रिकाओं और अनुनाद, कबाडख़ाना, लिखो यहाँ वहाँ, ख्वाब का दर, सेतु साहित्य, सदानीरा जैसे साहित्यिक ब्लॉगों में प्रकाशित। मार्च 2017 के स्त्री साहित्य पर केन्द्रित ‘कथादेश’ का अतिथि संपादन। साहित्य के अलावा यायावरी, सिनेमा और  फोटोग्राफी का शौक।

घने अन्धकार में खुलती खिड़की

यादवेन्द्र

मूल्य: $ 15.95

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