विभिन्न रामायण एवं गीता >> श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1 श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 1महर्षि वेदव्यास
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भगवद्गीता की पृष्ठभूमि
अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य सञ्ज्ञार्थं तान् ब्रवीमि ते।।7।।
हे ब्राह्मणश्रेष्ठ! अपने पक्ष में भी जो प्रधान हैं, उनको आप समझ लीजिये।
आपकी जानकारी के लिये मेरी सेना के जो-जो सेनापति हैं, उनको बतलाता
हूँ।।7।।
दुर्योधन अपनी बात आगे बढ़ाते हुए अपने गुरु को अपने ही पक्ष के उन सभी
योद्धाओं के नाम गिनवाता है जिन्हें उसने अपने पक्ष में लड़ने के लिए सहमत
करवा लिया है। कदाचित् ऐसा वह अपनी स्वयं का धैर्य एवं साहस बनाये रखने के
लिए भी कर रहा है, अथवा युद्ध आरंभ होने के पहले एक बार पुनः अपनी सेना के
योद्धाओं का आंकलन कर रहा है।
भवान् भीष्मश्च कर्णश्च कृपश्च समितिञ्जयः।
अश्वत्थामा विकर्णश्च सौमदत्तिस्तथैव च।।8।।
आप-द्रोणाचार्य और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्रामविजयी कृपाचार्य तथा
वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा।।8।।
यहाँ अपनी ओर के प्रमुख योद्धाओं को स्मरण करता है, जिसमें स्वयं
द्रोणाचार्य, भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य आदि थे। महाभारत में दुर्योधन की ओर
से युद्ध करने वालों में कई योद्धा ऐसे भी जो अतिशूरवीर थे जिनके बारे में
महाभारत के युद्ध के वर्णन के समय चर्चा आती है, पर सामान्य पाठक उनका
वर्णन गीता में अन्यत्र नहीं पाते हैं।
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