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गीता प्रेस, गोरखपुर >> भवनभास्कर

भवनभास्कर

राजेन्द्र कुमार धवन

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1008
आईएसबीएन :81-293-0049-4

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प्रस्तुत पुस्तक में वास्तु शास्त्र की मुख्य बातों का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया गया है।

Bhavanbhaskar-A Hindi Book by Rajendra Kumar Dhavan - भवनभास्कर - राजेन्द्र कुमार धवन

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

भवनभास्कर

वास्तुविद्या बहुत प्राचीन विद्या है। विश्वके प्राचीनतम ग्रन्थ ‘ऋग्वेद’ में भी इसका उल्लेख मिलता है। इस विद्या के अधिकांश ग्रन्थ लुप्त हो चुके हैं और जो मिलते हैं, उनमें भी परस्पर मतभेद है। वास्तुविद्या के गृह-वास्तु, प्रासाद-वास्तु नगर-वास्तु, पुर-वास्तु, दुर्ग-वास्तु आदि अनेक भेद हैं। प्रस्तुत ‘भवनभास्कर’ पुस्तक में पुराणादि विभिन्न प्राचीन ग्रन्थों में विकीर्ण गृह-वास्तुविद्या की सार-सार बातों से पाठकों को अवगत कराने की चेष्टा की गयी है। वास्तुविद्या बहुत विशाल है। प्रस्तुत पुस्तक में वास्तुविद्या का बहुत संक्षिप्त रूप से दिग्दर्शन कराया गया है। इसको लिखने में हमारे परमश्रद्धास्पद स्वामीजी श्रीरामसुखदायजी महाराज की ही सत्प्रेरणा रही है और उन्हीं की कृपा-शक्ति से यह कार्य सम्पन्न हो सका है।


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