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दुमदार नाक

आर.के. मूर्ति

प्रकाशक : सी.बी.टी. प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2011
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 10083
आईएसबीएन :81-89750-22-4

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

पारो को छोड़कर मां सुअर के सारे बच्चे चतुर थे। लेकिन पारो थोड़ी-सी बुद्धू थी। कोई भी बात उसे देर से समझ में आती थी और इसीलिए हर तरह की मुसीबत में वह बड़ी जल्दी फंस जाती थी।

एक बार उसने रास्ते से एक साही को धक्का देकर हटाया और उसके सारे शरीर में कांटे चुभ गए।

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