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गीता प्रेस, गोरखपुर >> आनन्दमय जीवन

आनन्दमय जीवन

रामचरण महेन्द्र

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :168
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1009
आईएसबीएन :81-293-0411-2

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प्रस्तुत है आनन्दमय जीवन का मार्मिक चित्रण।

Anandmay Jivan-A Hindi Book by Ramcharan Mahendra - आनन्दमय जीवन - रामचरण महेन्द्र

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

आनन्द का मार्ग

आप दुःख, चिन्ता या निराशा के गहन अन्धकार में भटकने के लिये नहीं जन्में हैं, न आपको निर्जीव मु्र्दे के समान निर्बलता, भय, चिन्ता, कमजोरी आदि दुष्ट विकारों का ही शिकार होना है। आपको अपवित्र विचार अस्त-व्यस्त नहीं कर सकते। जिन मार्गों से आपकी जीवन-शक्ति का ह्रास होता है, वे आपके लिए नहीं हैं आप दैवी शक्तिसम्पन्न महत्त्वपूर्ण व्यक्ति हैं। समाज में आपका प्रतिष्ठित पद है। आपके हिस्से में सच्चा सुख आया है। आप एक सजीव दैवी शक्ति सम्पन्न आत्मा हैं। आपका स्वरूप सत्-चित्-आनन्दमय है। आपके कण-कण में दिव्य प्रवाह बह रहा है। आपको इस आनन्दमय जगत् में आनन्दपूर्वक जीवन व्यतीत करना है। सदा विकसित पुष्प के समान खिले रहना है।

आप कभी निराश न हों, चट्टान की तरह कर्त्तव्यमार्ग पर दृढ़ रहें और आनन्दपूर्वक अग्रसर होते रहें। आनन्दमय विचारों में डूबे रहने से आरोग्य, दीर्घ-जीवन और मानस-शान्ति प्राप्त होती है; खिलखिलाकर हँसने से रक्तचालन की गति तीव्र होकर स्फूर्ति आती है, मानसिक रोग दूर होते हैं। परमेश्वर स्वयं आनन्दमय हैं। वे प्रसन्नता और स्फूर्ति का केन्द्र हैं। आनन्दमय स्वरूप को पहचानिये और अपने आनन्दमय वातावरण का विकास करते हुए आध्यात्मिक मार्ग पर आरूढ़ होइये।
जिन पाठकों ने मेरी प्रथम कृति ‘स्वर्ण-पथ’ से प्रेरणा प्राप्त की है, उन्हें प्रस्तुत कृति से जीवन को मधुर बनाने में सहायता मिलेगी—ऐसी आशा है।

-रामचरण महेन्द्र


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