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प्रत्यंचा

कामिनी कामायनी

प्रकाशक : अनुराधा प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10148
आईएसबीएन :9789382339359

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‘संग्रह’ में हर प्रकार के विमर्श की कविताएं हैं। कह सकते हैं कि आज के भौतिकवादी जीवन का धुला पुछा साफ–सुथरा आईना है यह ‘संग्रह’।

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

‘संग्रह’ में हर प्रकार के विमर्श की कविताएं हैं। कह सकते हैं कि आज के भौतिकवादी जीवन का धुला पुछा साफ–सुथरा आईना है यह ‘संग्रह’। विविध रंगों से युक्त ये कविताएँ कहीं नारी–विमर्श को लेकर अत्यंत गंभीर हैं, फलतः प्रत्यंचा, सौदा, मंथरा, बेटियाँ जैसी कविताओं का सृजन संभव हो पाना जो आधी दुनिया की सार्थकता प्रमाणित करती हैं।

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