नई पुस्तकें >> अकाली आंदोलन अकाली आंदोलनमोहिंदर सिंह
|
0 |
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
अकाली आंदोलन सिखों द्वारा संगठित सत्याग्रह का पहला सफल प्रदर्शन था। जिसका उद्देश्य सिख मंदिरों से महंतों, पुजारियों और दूसरे निहित स्वार्थी तत्त्वों को निकाल बाहर करना था। पंजाब के मजबूत सिख किसान ब्रिटिश राज के खिलाफ अकाली आंदोलन के चलते ही खुलकर सामने आए थे और सूबे में नौकरशाही पर सीधा हमला बोला था, जो निहित स्वार्थों के साथ मिलकर काम कर रही थी। इसका एक दिलचस्प पहलू यह है कि अकाली संघर्ष के दौरान और महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले और गिरफ्तारी देने वाले सिखों की संख्या कांग्रेसी तथा खिलाफत स्वयं सेवकों की कुल संख्या के बराबर थी। और फिर अकालियों ने 1920 के असहयोग आंदोलन को स्थगित किए जाने के बाद भी अपना असहयोग आंदोलन अपने लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल करने तक चलाए रखा था। अकाली जत्थों की विजय यात्रा और ‘चाबियों के मामले’ में उनकी जीत का स्वागत करते हुए महात्मा गांधी ने इसे, ‘राष्ट्रवादी शक्तियों की पहली निर्णायक विजय’ घोषित किया था।
प्रस्तुत रचना सिख संघर्ष के पाँच वर्षों (1925-25) का ब्योरेवार लेखा-जोखा है। समकालीन ब्रिटिश अफसरों और राष्ट्रीय नेताओं के निजी दस्तावेजों और भारत तथा इंग्लैंड में मौजूद उन स्रोत्रों, जिनका अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, पर यह आधारित यह पुस्तक अनेक महत्वपूर्ण प्रश्नों पर नई रोशनी डालती है।
प्रस्तुत रचना सिख संघर्ष के पाँच वर्षों (1925-25) का ब्योरेवार लेखा-जोखा है। समकालीन ब्रिटिश अफसरों और राष्ट्रीय नेताओं के निजी दस्तावेजों और भारत तथा इंग्लैंड में मौजूद उन स्रोत्रों, जिनका अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, पर यह आधारित यह पुस्तक अनेक महत्वपूर्ण प्रश्नों पर नई रोशनी डालती है।
|
लोगों की राय
No reviews for this book