लोगों की राय
नई पुस्तकें >>
अश्वत्थामा
अश्वत्थामा
प्रकाशक :
मंजुल पब्लिशिंग हाउस |
प्रकाशित वर्ष : 2017 |
पृष्ठ :198
मुखपृष्ठ :
पेपरबैक
|
पुस्तक क्रमांक : 10237
|
आईएसबीएन :9788183228060 |
|
0
|
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
इसे नियति की विडंबना ही कहेंगे कि महाभारत की गाथा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और अमर पात्र होने के बावजूद, अश्वत्थामा सदा उपेक्षित रहा है। पौराणिक साहित्य में अश्वत्थामा सहित और भी लोग हैं, जिन्हें अमर मन जाता है। परंतु जहाँ अन्य लोगों को अमर होने का ‘वरदान’ प्राप्त हुआ, वहीं अश्वत्थामा को अमरता ‘शाप’ में मिली थी।
युद्ध की कथा सदा निर्मम नरसंहार, निर्दोषों की हत्या और दुष्कर्मों की काली स्याही से ही लिखी जाती है। तो फिर महाभारत जैसे महायुद्ध में अश्वत्थामा से ऐसे कौन-से दो अक्षम्य अपराध हो गये थे, जिनके लिए श्रीकृष्ण ने उसे एकाकी व जर्जर अवस्था में हज़ारों वर्षों तक पृथ्वी पर भटकने का विकट शाप दे डाला ? उसके मन में यह प्रश्न उठता है कि श्रीकृष्ण ने इतना कठोर शाप देकर उसके साथ अन्याय किया या फिर इसके पीछे भगवान का कोई दैवी प्रयोजन था ? क्या अश्वत्थामा के माध्यम से भगवान कृष्ण आधुनिक समाज को कोई संदेश देना चाहते थे ?
अधिकांश जगत अश्वथामा को दुर्योधन कि भांति कुटिल और दुराचारी समझता है। लेखक ने इस उपन्यास में अश्वत्थामा के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करते हुए, उस महान योद्धा के दृष्टिकोण से महाभारत की कथा को नए रूप में प्रस्तुत किया है।
साहित्य के कन्धों पर यह ज़िम्मेदारी है कि विस्मृत नायक-नायिकाओं को पुनर्स्थापित करें। ‘अश्वत्थामा’ इस श्रेणी में एक आवश्यक महनीय प्रयास है।
- डॉ. कुमार विश्वास, कवि एवं राजनेता
अर्धसत्य, मनुष्य के लिए सदैव सुख का कारण और आत्म-मंथन का विषय रहा है। ‘अश्वत्थामा’ का पात्र इसी द्वंद्व का प्रतीक है।
- सुतपा सिकदार, लेखिका एवं फिल्म निर्माता
मैं उपरोक्त पुस्तक खरीदना चाहता हूँ। भुगतान के लिए मुझे बैंक विवरण भेजें। मेरा डाक का पूर्ण पता निम्न है -
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai