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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
विमल अपने बिछुड़े दोस्त जगमोहन की मदद के लिये खैरगढ़ पहुँच तो गया परन्तु किस्मत ने उसे अब एक ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया, जिसमें एक तरफ उसके सामने जगमोहन के अंधेरे अतीत के साये थे, और दूसरी ओर विमल की सरपरस्ती के बिना लाचार उसके मोहसिनों के सामने एक ऐसा दुश्मन था जो खुद को खुदा से भी दो हाथ ऊँचा समझता था।
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