Lekhak Ka Cinema - Hindi book by - Kunwar Narayan - लेखक का सिनेमा - कुँवर नारायण
लोगों की राय

संस्मरण >> लेखक का सिनेमा

लेखक का सिनेमा

कुँवर नारायण

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :202
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10293
आईएसबीएन :9788126730476

Like this Hindi book 0

“लेखक का सिनेमा” उन्हीं में से कुछ प्रमुख लेखों, टिप्पणियों, व्याख्यानों और संस्मरणों से बनी पुस्तक है। इसमें अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सवों की विशेष रपटें हैं, जो लेखकीय दृष्टिकोण से लिखी गई हैं और बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस किताब में वे कला, जीवन, समाज और सिनेमा, इन सबके बीच के संबंधों को परिभाषित, विश्लेषित करते हुए चलते हैं।

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

कुँवर नारायण द्वारा लिखित और गीत चतुर्वेदी द्वारा सम्पादित किताब। कुँवर नारायण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कवि हैं। वह विश्व सिनेमा के गहरे जानकारों में हैं। उन्होंने आधी सदी तक सिनेमा पर गंभीर, विवेचनापूर्ण लेखन किया है, व्याख्यान दिए हैं। “लेखक का सिनेमा” उन्हीं में से कुछ प्रमुख लेखों, टिप्पणियों, व्याख्यानों और संस्मरणों से बनी पुस्तक है। इसमें अनेक अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सवों की विशेष रपटें हैं, जो लेखकीय दृष्टिकोण से लिखी गई हैं और बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस किताब में वे कला, जीवन, समाज और सिनेमा, इन सबके बीच के संबंधों को परिभाषित, विश्लेषित करते हुए चलते हैं। इसमें सिनेमा के व्याकरण की आत्मीय मीमांसा है। प्रसिद्ध फिल्मों व निर्देशकों के अलावा उन निर्देशकों व फिल्मों के बारे में पढ़ना एक धनात्मक अनुभव होगा, जिनका नाम इक्कीसवीं सदी के इस दूसरे दशक तक कम आ पाया। हिंदी किताबों से जुडी नई पीढ़ी, जो विश्व सिनेमा में दिलचस्पी रखती है, के लिए इस किताब का दस्तावेजी महत्व भी है। गीत चतुर्वेदी के शब्दों में, “अर्जेंटीना के लेखक बोर्हेस की प्रसिद्ध पंक्तियाँ हैं - ‘मैं वे सारे लेखक हूँ जिन्हें मैंने पढ़ा है, वे सारे लोग हूँ जिनसे मं मिला हूँ, वे सारी स्त्रियाँ हूँ, जिनसे मैंने प्यार किया है, वे सारे शहर हूँ जहाँ मैं रहा हूँ।’ कुँवर नारायण के सन्दर्भ में इसमें जोड़ा जा सकता है कि मैं वे सारी फ़िल्में हूँ जिन्हें मैंने देखा है।”

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book