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जमीर का कैदी

सुरेन्द्र मोहन पाठक

प्रकाशक : हार्परकॉलिंस पब्लिशर्स इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :344
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 10309
आईएसबीएन :9789352643660

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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

विमल के बिछुड़े दोस्त जगमोहन ने विमल से मदद की गुहार लगाई थी और साथ ही अंदेशा भी जाहिर किया था कि ‘खाक हो जाएँगे हम तुझको खबर होने तक’। क्या विमल ‘खाक’ हो जाने से पहले जगमोहन की मदद को पहुँच पाया ?

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