Duboya Mujhko Hone Ne - Hindi book by - Krishan Baldev Vaid - डुबोया मुझको होने ने - कृष्ण बलदेव वैद
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जीवनी/आत्मकथा >> डुबोया मुझको होने ने

डुबोया मुझको होने ने

कृष्ण बलदेव वैद

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :282
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10321
आईएसबीएन :9788126315734

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'डुबोया मुझको होने ने' के पन्नों पर यह रचनात्मक तनाव डायरी के शिल्प में व्यक्त हुआ है

कृष्ण बलदेव वैद शब्द और अर्थ के बीच पसरे संशय के रचनात्मक तनाव को जीने वाले हिन्दी के अकेले लेखक हैं। 'डुबोया मुझको होने ने' के पन्नों पर यह रचनात्मक तनाव डायरी के शिल्प में व्यक्त हुआ है। 1991-1997 के बीच का समय संक्षिप्त व सघन होकर वैद की लेखनी से दर्ज हुआ है।

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