कविता संग्रह >> मित्र मित्रसौमित्र
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'मित्र' स्मृति के अन्तराल में गूँजती ऐसी पुकार है जिसमें सम्बोधन और सम्बन्ध घुलमिल गए हैं
सौमित्र का कविता-संग्रह 'मित्र' स्मृति के अन्तराल में गूँजती ऐसी पुकार है जिसमें सम्बोधन और सम्बन्ध घुलमिल गए हैं। सौमित्र के लिए समय एक बिम्बबहुला वीथिका है। इस वीथिका में आते-जाते शब्द अर्थ की अनूठी दीप्ति से आप्लावित हो उठे हैं। 'मित्र' की कविताओं की एक उल्लेखनीय विशेषता इनकी तरलता व सरलता है।
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