कहानी संग्रह >> जानकीपुल जानकीपुलप्रभात रंजन
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इन कहानियों में न तो अनगड़ता है न अपरिपक्वता, बल्कि आज की वास्तविकता के प्रति एक वयस्क व्यंग्यबोध है
कथाकार प्रभात रंजन का यह पहला कहानी-संग्रह है, बावजूद इसके इन कहानियों में न तो अनगड़ता है न अपरिपक्वता, बल्कि आज की वास्तविकता के प्रति एक वयस्क व्यंग्यबोध है। इन कहानियों के केंद्र में आज का युवा समुदाय है जो अक्सर छोटे कस्बों से महानगरों की ओर उच्चशिक्षा या रोजगार की तलाश में आया है।
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