यात्रा वृत्तांत >> हर बारिश में हर बारिश मेंनिर्मल वर्मा
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हिन्दी साहित्य के इतिहास में साठ का दशक, निर्मल वर्मा, चेकोस्लोवाकिया और यूरोप --- लगभग अभिन्न हो गए हैं.
हिन्दी साहित्य के इतिहास में साठ का दशक, निर्मल वर्मा, चेकोस्लोवाकिया और यूरोप --- लगभग अभिन्न हो गए हैं. इस दौरान निर्मल वर्मा ने यूरोप की धड़कन, उसके गौरव और शर्म के क्षणों को बहुत नजदीक से देखा-सुना. इस लिहाज से यह पुस्तक एक ऐसी नियतिपूर्ण घड़ी का दस्तावेज है, जब बीसवीं शती के अनेक काले-उजले पन्ने पहली बार खुले थे.
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