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विपात्र
विपात्र
प्रकाशक :
भारतीय ज्ञानपीठ |
प्रकाशित वर्ष : 2008 |
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ :
सजिल्द
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पुस्तक क्रमांक : 10419
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आईएसबीएन :9788126316502 |
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एक लघु उपन्यास, या एक लम्बी कहानी, या डायरी का अंश, या लम्बा रम्य गद्य, या चौंकाने वाला एक विशेष प्रयोग--
एक लघु उपन्यास, या एक लम्बी कहानी, या डायरी का अंश, या लम्बा रम्य गद्य, या चौंकाने वाला एक विशेष प्रयोग--कुछ भी संज्ञा इस पुस्तक को दी जा सकती है, पर इन सबसे विशेष है यह कथा-कृति, जिसका प्रत्येक अंश अपने आप में परिपूर्ण और इतना जीवन्त है कि पढना आरम्भ करें तो पूरी पढ़ने का मन हो, और कहीं भी छोड़ें तो लगे कि एक पूर्ण रचना पढ़ने का सुख मिला.
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