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सूखा तथा अन्य कहानियाँ

निर्मल वर्मा

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :248
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10474
आईएसबीएन :9788126315819

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निर्मल वर्मा की कथा में 'पढ़ने' का कोई विकल्प नहीं है; न 'सुनना' न 'देखना', न 'छूना'. वह पढ़ने की शर्तों को कठिन बनती है

निर्मल वर्मा की कथा में 'पढ़ने' का कोई विकल्प नहीं है; न 'सुनना' न 'देखना', न 'छूना'. वह पढ़ने की शर्तों को कठिन बनती है तो इसी अर्थ में कि हम इनमें से किसी भी रास्ते से उसे नहीं पढ़ सकते. हमें भाषा पर एकाग्र होना होगा क्योंकि वही इस कथा का वास्तविक घातांक है; वही इस किस्से की किस्सागो है.

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