लेख-निबंध >> साहित्य का आत्म-सत्य साहित्य का आत्म-सत्यनिर्मल वर्मा
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निर्मलजी के निबन्धों के चिन्तन के केंद्र में मात्र साहित्य ही नहीं है बल्कि, उसमें उत्तर-औपनिवेशिक भारतीय समाज, उसका नैतिक-सांस्कृतिक विघटन और मनुष्य का आध्यात्मिक मूल स्वरूप, भारतीय संस्कृति का बहुकेन्द्रित सत्य आदि महत्त्वपूर्ण सवाल समाहित हैं
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