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मूलाचार (प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी) भाग-2

आचार्य वट्टकेर

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :420
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10485
आईएसबीएन :8126307846

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मूलाचार सबसे प्राचीन लगभग दो हजार वर्ष पूर्व रचा गया ग्रन्थ है

मूलाचार सबसे प्राचीन लगभग दो हजार वर्ष पूर्व रचा गया ग्रन्थ है जिसमें दिगम्बर मुनियों के आचार-विचार-साधना और गुणों का क्रमबद्ध प्रामाणिक विवरण है. ग्रन्थकार हैं आचार्य वट्टकेर जिन्हें अनेक विद्वान आचार्य कुन्दकुन्द के रूप में मानते हैं. प्राकृत की अनेक हस्तलिखित प्रतियों से मिलान करके परम विदुषी आर्यिकारत्न ज्ञानमती माताजी ने इसका सम्पादन तथा भाषानुवाद किया है, मूल ग्रन्थ का ही नहीं, उस संस्कृत टीका का भी जिसे लगभग ९०० वर्ष पूर्व आचार्य वसुनन्दी ने आचारवृत्ति नाम से लिखा.

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