लोगों की राय

जैन साहित्य >> न्यायविनिश्चयविवरण (संस्कृत) भाग-2

न्यायविनिश्चयविवरण (संस्कृत) भाग-2

वादिराज सूरि

प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशित वर्ष : 2000
पृष्ठ :460
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 10493
आईएसबीएन :8126305274

Like this Hindi book 0

'न्यायविनिश्चय' में अकलंकदेव ने जिन तीन प्रस्तावों-- प्रत्यक्ष, अनुमान और प्रवचन में जैन न्याय के सिद्धान्तों का गम्भीर और ओजस्वी भाषा में प्रतिपादन किया है,

भारतीय न्याय-साहित्य में आचार्य अकलंकदेव (आठवीं सदी) के ग्रन्थ 'न्यायविनिश्चय' पर टीकाकार आचार्य वादिराज सूरि (बारहवीं सदी) द्वारा लिखा गया विवरण (न्यायविनिश्चयविवरण) अत्यन्त विस्तृत और सर्वांग सम्पूर्ण है. 'न्यायविनिश्चय' में अकलंकदेव ने जिन तीन प्रस्तावों-- प्रत्यक्ष, अनुमान और प्रवचन में जैन न्याय के सिद्धान्तों का गम्भीर और ओजस्वी भाषा में प्रतिपादन किया है, व्याख्याकार वादिराज सूरि ने 'न्यायविनिश्चयविवरण' में अपनी भाषा और तर्क शैली द्वारा उन्हें और भी अधिक स्पष्ट और तलस्पर्शी बनाया है.

प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book