जैन साहित्य >> सम्मड़सुत्तं (सन्मति सूत्र) (प्राकृत, हिन्दी) सम्मड़सुत्तं (सन्मति सूत्र) (प्राकृत, हिन्दी)आचार्य सिद्धसेन
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आचार्य सिद्धसेन विरचित 'सम्मइसुत्तं' (सन्मतिसूत्र) अनेकान्तवाद सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाली महत्त्वपूर्ण रचना है
आचार्य सिद्धसेन विरचित 'सम्मइसुत्तं' (सन्मतिसूत्र) अनेकान्तवाद सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाली महत्त्वपूर्ण रचना है. यह प्राकृत भाषा में 167 आर्या छन्दों में निबद्ध है. सम्पूर्ण रचना तीन काण्डों में विभक्त है. प्रथम काण्ड में मुख्य रूप से नय और सप्तभंगी का, द्वितीय काण्ड में दर्शन और ज्ञान का तथा तृतीय काण्ड में पर्याय-गुण से अभिन्न वस्तुतत्त्व का सुन्दर प्रतिपादन है. सच तो यह है कि उपर्युक्त जिन मूल तत्त्वों की व्याख्या की गयी है, वे सब अनेकान्त दर्शन के पोषक हैं.
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