लोगों की राय

गीता प्रेस, गोरखपुर >> जीवन का सत्य

जीवन का सत्य

स्वामी रामसुखदास

प्रकाशक : गीताप्रेस गोरखपुर प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :91
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1062
आईएसबीएन :81-293-0434-1

Like this Hindi book 5 पाठकों को प्रिय

394 पाठक हैं

भगवान हमारे है उनपर हमारा अधिकार है। संसार से लोक-व्यवहार की दृष्टि से हमारा इतना ही सम्बन्ध है कि हम उसकी यथाशक्ति सेवा कर दें। भगवत्प्राप्ति इसी जीवन में सम्भव है।

Jivan Ka Satya A Hindi Book by Swami Ramsukhdas - जीवन का सत्य - स्वामी रामसुखदास

प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश

।।श्रीहरि:।।
परम पूज्य स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज के प्रवचनों से कुछ विशेष प्रवचन मूल रूप से प्रकाशित किये जा रहे हैं। इससे पूर्व भी स्वामी महाराज के प्रवचनों की कुछ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उन पुस्तकों की लोकप्रियता से इस प्रकाशन में उत्साह और प्रेरणा मिली है। फलस्वरूप प्रस्तुत पुस्तक आपके समक्ष है।

पूज्य स्वामी महाराज के प्रवचन बड़े ही मार्मिक, हृदय-स्पर्शी और गम्भीर होते हैं जिन्हें कल्याण-कामी सत्संगी भाई, बहिन बड़ी सरलता से समझ लेते हैं। भगवान् हमारे हैं, उन पर हमारा अधिकार है। संसार में लोक-व्यवहार की दृष्टि से हमारा इतना ही संबंध है कि हम उसकी यथाशक्ति सेवा कर दें। भगवत्प्राप्ति इसी जीवन में सम्भव है और अत्यन्त सुलभ है। इन बातों पर पूज्य स्वामीजी महाराज विशेष बल देते हैं।

आशा है पाठकगण इस पुस्तक का अध्ययन व मनन करके पूरा लाभ उठायेंगे।

-प्रकाशक


प्रथम पृष्ठ

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai