गीता प्रेस, गोरखपुर >> जीवन का सत्य जीवन का सत्यस्वामी रामसुखदास
|
5 पाठकों को प्रिय 394 पाठक हैं |
भगवान हमारे है उनपर हमारा अधिकार है। संसार से लोक-व्यवहार की दृष्टि से हमारा इतना ही सम्बन्ध है कि हम उसकी यथाशक्ति सेवा कर दें। भगवत्प्राप्ति इसी जीवन में सम्भव है।
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: 10page.css
Filename: books/book_info.php
Line Number: 553
|
विनामूल्य पूर्वावलोकन
Prev
Next
Prev
Next
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book